Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Jan-2023 दादाजी और पोस्टमैन

अरविंद 12वीं कक्षा पास करने के बाद, अपने दादाजी रामविलास का आशीर्वाद लेकर शहर नौकरी करने चला जाता है। अरविंद के माता पिता के निधन के बाद अरविंद के दादा रामविलास ने ही अरविंद को पाल पोस कर बड़ा लिखा कर बड़ा किया था। अरविंद  ऐसा कोई गलत काम नहीं करता था, जिससे उसके दादाजी को तकलीफ पहुंचे। अरविंद अपने दादाजी को हमेशा खुश देखना चाहता था। 


अरविंद को शहर में एक बड़ी कंपनी में बहुत ही मुश्किल से नौकरी मिली थी। इस कंपनी के नियम और कानून बहुत ही सख्त थे। कोई भी कर्मचारी तीन या चार छुट्टी लगातार कर लेता था, तो उसे नौकरी से निकाल देते थे।

इस कंपनी में काम करते हुए अरविंद को 1 बरस बीत गया था। अरविंद की नौकरी मुश्किल से लगी थी और कंपनी के नियम कानून सख्त थे।इसलिए अरविंद नौकरी छुटने के डर की वजह से छुट्टी कम लेता था।

 एक दिन अरविंद को अपने दादाजी की बहुत याद आती है। अरविंद ऑफिस में अपनी चेयर पर बैठा हुआ था और उसके मन में बार-बार यह विचार आ रहा था कि मैं अपने दादाजी का हाल-चाल कैसे पता करूं। अरविंद को परेशान देखकर उसके साथ ही काम करने वाली लड़की अर्चना अरविंद के पास आती है। और उससे दुखी और परेशान होने का कारण पूछती है। अरविंद अपने मन की सारी बात अर्चना को बता देता है। अर्चना अरविंद को सलाह देती है कि तूम खत लिखकर दादाजी का हाल-चाल पता कर सकते हो।

 अर्चना की सलाह सुन कर अरविंद खुशी से चेयर से खड़ा हो जाता है। और अर्चना के साथ जाकर पोस्ट ऑफिस से चिट्ठी खरीदना है। और उस दिन से अरविंद खत लिखकर दादा जी का हालचाल पता करने लगता है। ख़त से दादाजी का लगातार हाल-चाल मिलने से अरविंद खुश रहने लगता है। 

अरविंद की चिट्ठी लेकर जब पोस्टमैन आता था उस दिन अरविंद के दादाजी रामविलास गांव की कच्ची सड़क पर एक एक पेड़ के नीचे खड़े हो जाते थे। पोस्टमैन का इंतजार करते रहते थे। पोस्टमैन खाकी वर्दी खाकी टोपी कंधे में खाकी थैला  टांगे साइकिल पर गांव की तरफ आता हुआ जब दिखता था, तो दादा जी को बहुत खुशी महसूस होती थी। दादाजी पोस्टमैन को अपने घर ले जाते थे। और अपने घर के आंगन में चारपाई लगाकर पोस्टमैन को बिठा देते थे। और आस पड़ोस में रहने वाली किसी महिला को बुलाते थे। और उस महिला को चाय पकौड़े का सामान देकर बनाने के लिए कहते थे। और पोस्टमैन को चाय पकौड़े खिलाते थे और खुद चाय पकौड़े खाते हुए पोस्टमैन से अरविंद का खत सुनते थे। खत सुनने के बाद दादाजी का पूरा दिन बहुत खुशी से बीतता था। अरविंद का खत हर हफ्ते आता था।

 एक दिन अरविंद का खत देने के बाद  पोस्टमैन अरविंद के दादाजी से कहता है कि "मैं कुछ दिनों के लिए किसी रिश्तेदार की बेटी की शादी में जा रहा हूं।"

दादाजी उदास दुखी होकर अरविंद का खत्म अपनी जेब में रख कर घर आ जाते हैं। उस दिन दादाजी को  अनपढ़ होने पर बहुत अफसोस होता है‌।

 दादा जी दो-तीन दिन पोस्टमैन का इंतजार करते हैं। दो-तीन दिन के बाद पोस्टमैन दोबारा दादाजी के पास आता है। पोस्टमैन दादाजी को अरविंद का खत पढ़कर सुनाता है। खत सुनने के बाद दादाजी पोस्टमैन से कहते हैं कि "मुझे भी पढ़ना लिखना सिखा दो।" पोस्टमैन दूसरे दिन से ही दादाजी को पढ़ना लिखना सिखाना शुरू कर देता है। कुछ ही दिनों में दादाजी लिखना पढ़ना सीख जाते हैं।

और एक दिन जब अरविंद का खत आता है, तो दादाजी पोस्टमैन से खत लेकर पोस्टमैन को खुद खत पढ़कर सुनाते हैं दादाजी को खत पढ़ते हुए सुनकर  पोस्टमैन बहुत खुश होता है।

और कुछ वर्षों के बाद अरविंद अर्चना से शादी कर के दादाजी के पास हमेशा के लिए रहने आ जाता है। 

अब दादाजी एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठकर गांव वालों के खत पढ़ते थे, और उनका खत लिखते थे। और उसी चबूतरे के पास अरविंद और दादाजी कुल्लड़ में चाय बेचते थे। दादाजी चिट्ठी इतनी खूबसूरत लिखते थे और खूबसूरत ढंग से पढ़ते थे। इस वजह से वहां लोगों की भीड़ लगी रहती थी और उनकी कुल्लड़ की चाय का रोजगार बहुत तरक्की करने लगता है। दादाजी की वजह से अरविंद को अपने ही घर  कुल ््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््  घर मैं कुल्लड़ मैं चाय बेचने का रोजगार मिल जाता है।  रामविलास दादाजी का जीवन अरविंद और अर्चना के साथ बहुत खुशी से बीत रहा था।

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8 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 10:04 PM

बेहतरीन रचना

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Gunjan Kamal

12-Jan-2023 10:24 AM

बहुत खूब

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Sushi saxena

08-Jan-2023 08:09 PM

बेहतरीन

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